बुधवार, 20 जनवरी 2016

नहीं काटने होंगे थाने के चक्कर ऑनलाइन दर्ज होगा मुकदमा

नहीं काटने होंगे थाने के चक्कर ऑनलाइन दर्ज होगा मुकदमा
मुकेश शर्मा
जयपुर. वाहन चोरी, मोबाइल या किसी दस्तावेज के खोने, छीना-झपटी जैसे छोटे-छोटे मामलों में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। न किसी रसूखदार की सिफारिश की जरूरत होगी और न ही पुलिसवालों की जेब गर्म करनी पड़ेगी। दिल्ली की तरह राजस्थान पुलिस भी छोटे अपराधों में ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करवाने की कवायद में जुटी है। सब ठीक रहा तो अगले माह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
सबसे पहले जयपुर कमिश्नरेट में यह व्यवस्था लागू करने की योजना है। इसके लिए दिल्ली पुलिस में ऑनलाइन सेवा चालू करने वाली कंपनी ने हाल ही में जयपुर पुलिस मुख्यालय में प्रजेंटेशन दिया था।
खोलने होंगे ई-कोर्ट
वाहन चोरी का मामला ऑनलाइन दर्ज होने पर सॉफ्टवेयर बरामद वाहनों में चोरी गए वाहन को तलाशेगा। वाहन नहीं मिलने पर 21 दिन बाद एफआर स्वत: कोर्ट चली जाएगी। ई-कोर्ट में एफआर मंजूर होने पर ई-मेल पर सूचना मिलेगी। फरियादी के लिए की-लॉक की व्यवस्था होगी। 21 दिन बाद संबंधित अधिकारी मामला चालू रखना चाहेगा तो उसकी अवधि बढ़ा सकता है। व्यवस्था चालू करने से पहले दिल्ली की तर्ज पर ई-कोर्ट खोले जाएंगे।
दिल्ली पुलिस की यह व्यवस्था (जुलाई 2015 से)
1. पहले समस्या
किसी दस्तावेज या वस्तु की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने पड़ते थे। रिश्वत मांगे जाने और सिफारिश पर ही काम होने की शिकायतें लगातार मिल रही थीं।
अब राहत : -
गुमशुदा दस्तावेज या वस्तु की रिपोर्ट ऑनलाइन ही दर्ज होने लगी है। फरियादियों को थानों के चक्कर काटने से राहत मिल गई। अब छोटे-छोटे मामलों में न तो रिश्वत देनी पड़ती है और न सिफारिश लगवाने की जरूरत रही।
2. पहले समस्या
वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ जांच की प्रगति की जानकारी व बीमा दावे के लिए अनट्रेस रिपोर्ट लेने में समस्या थी। रिश्वत व सिफारिश से ही काम होने की शिकायतें थीं।
अब राहत : -
वाहन चोरी की एफआईआर ऑनलाइन दर्ज की जा रही है। पीडि़त व्यक्ति जांच की प्रगति खुद पता कर सकता है। ई-कोर्ट से अनट्रेस रिपोर्ट मंजूर होने पर ई-मेल के जरिए उपलब्ध। थाने व कचहरी के
चक्कर से राहत।
3. पहले समस्या
पासपोर्ट बनवाने व नौकरी के लिए पुलिस बेरिफिकेशन के साथ अन्य मामलों में पुलिस सत्यापन के लिए थानों के चक्कर लगाने पड़ते थे। यहां भी रिश्वत या सिफारिश से काम होता था।
अब राहत : -
नौकरी के लिए पुलिस बेरिफिकेशन के साथ अन्य मामलों में पुलिस सत्यापन के लिए वेब एप्लीकेशन उपलब्ध है। घर बैठे ये प्रमाणपत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। अब कहां और किसके पास जाऊं का चक्कर खत्म हो गया।
अपराध के ग्राफ का चक्कर
अपराध का ग्राफ कम दिखाने के लिए पुलिस छोटे मामलों में रिपोर्ट दर्ज नहीं करती। वाहन चोरी, गुमशुदगी, छीना-झपटी आदि की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पीडि़त से बार-बार थानों के चक्कर कटवाए जाते हैं। जिसके पास सिफारिश हो या जो जेब गर्म कर दे, उसका मामला दर्ज कर लिया जाता है। एेसे में माना जा रहा है कि ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज कराने की व्यवस्था होने पर अपराध का ग्राफ ऊंचा दिखाई दे सकता है। हालांकि, अब भी उतना ही है, लेकिन जो मामले अभी दर्ज नहीं किए जा रहे हैं नई व्यवस्था में वे भी दर्ज होने लगेंगे।
जल्द मिलेगी सुविधा
गुमशुदगी और वाहन चोरी जैसे मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए दिल्ली की तर्ज पर ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने के लिए कंपनी ने प्रजेंटेशन दिया है। सॉफ्टवेयर में कुछ कमी होना पाया गया है, कंपनी को उसे दुरुस्त करने के लिए कहा है। जल्द यहां भी यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।मनोज भट्ट, डीजीपी, राजस्थान



Ischouhan

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ब्लॉग आर्काइव